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रांग नंबर लेखनी कहानी -24-Aug-2022

#रॉन्गनंबर
बड़ी ज़ोर की बारिश हो रही थी। आसमान में बिजली कड़कड़ा रही थी पर घर पर बिजली गुल थी। तभी फोन की घंटी बजी और जीत ने रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया। जीत को दो साल पहले की वो तूफानी रात याद आ गई। उस दिन भी तो ऐसे ही एक काल आया था और ओ उस याद में खो जाता है उस दिन जब ओ आसमान में बादलों को देख रहा था तभी घंटी बजी तो वह दौड़कर गया और काल उठाया पूछा कौन उधर से एक प्यारी सी आवाज आई साॅरी रांगनंबर पर आवाज इतना मधुर था की जीत की मानों सांसे तेज हो गयी हों वो उसमे खो सा गया हो उधर से फिर आवाज़ आयी ओ हेलो! क्या हुआ अचानक खुद को सम्हालते हुए जीत ने कहा कुछ नहीं जी आपकी आवाज इतनी क्यूट है कि क्या बताऊं।
लड़की ने कहा थैंक्स,
 जीत बोला क्या मैं आपका नाम जान सकता हूं ?लड़की बोली क्यों नहीं ।
तो बतायिये न जीत प्यार भरे अंदाज में बोला।
उसने भी इठलाते हुए कहा सिमरन।
जीत बोला बड़ा प्यारा नाम है आपका,
उसने कहा थैंक्स वैसे आपका क्या नाम है जीत ने कहा वैसे मेरा नाम प्रीतम हैं पर घर वाले प्यार से जीत बुलाते हैं मुझे।
सिमरन भी हंसते हुए मजाकिया अंदाज में बोली तो क्या मैं भी इस खूबसूरत लडके को जीत बुला सकती हूं।
जीत थोड़ा शर्माते हुए बोला हां क्यों नहीं, ये कहते ही दोनों हंस पड़े।
बात काफी आगे बढ़ी और एक अंजान नंबर से आये काल पर लगभग दो घंटे बात चली दोनों ने काफी सारी बातें की जीत ने पूछा आप कहां रहती हो।
तो सिमरन ने कहा आज ही सारा जान लोगे क्या?
जीत नहीं पर पता नहीं कर फोन न आये तो ?
सिमरन बोली अरे मैं जरुर फोन करुंगी ।
तो फिर आज से हम फ्रेंड जीत बोला ,
हां ज़रूर आज से हम फ्रेंड तभी सिमरन बोली अच्छा मेरी मम्मी आ गयी है मैं कल फोन करती हूं शाम चार बजे ठीक याद रहेगा न और हां तुम काल मत करना मैं ही करुंगी ओके ।
हां ज़रूर मुझे इंतज़ार रहेगा जीत बोला फिर उसने बाय बोलके फोन काट दिया।
अब इधर जीत को तो मानो स्वर्ग मिल गया हो मन हजारों खुशी के लड्डू फ़ूटने लगे थे पूरा दिन खुशी का माहौल घर वाले जो काम बोले झट से कर देता सभी हैरान थे की आज जीत को क्या हो गया।
किसी तरह करवटें बदल बदल कर जीत की रात कटी पर दिन के 12 घंटे कैसे बीतते तो आज ओ पार्क गया दोस्तों के साथ घूमा  खूम मस्ती करी और फाइनली तीन बज गये और वह घर आ गया ।
अब जीत फोन के आस पास चक्कर काटने लगा ओ बालकनी के पास जाता फिर फोन के पास आता फिर बालकनी के पास जाता फिर फोन के पास आता उसका चक्कर लगाना जारी था ।
उसके लिए ये एक घंटा मानों युगों के बराबर बीत रहा था इस कदर बेसब्री से इंतजार के बाद अचानक फोन की घंटी बजी और जीत ने लपक कर फोन उठाया और बोला हाय कैसी हो!
उधर से आवाज आयी ओय मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे क्या? 
नहीं ऐसा नहीं है मैं पढ रहा था ,
अच्छा सच्ची तो मैं रखती हूं तुम पढ़ लो ।
अरे नहीं कोई न बाद में पढ लेंगे जीत बोला ,
हां ये भी सही है अच्छा सच्ची सच्ची बोलना मेरा ही इन्तजार कर रहे थे न ? हां आपका ही इंतज़ार कर रहे थे जीत बोला , 
हाय लड़का दिवाना हो गया है लगता है मुझे सिमरन हंसती हुई बोली ।
नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है जीत बोला ओ मैं तो बस ऐसे ही वेट कर रहा था तुम्हारे काॅल का अच्छा सच में ? हां जीत बोला wow  लगता है प्यार हो गया है तुम्हें सिमरन बोली ।
हां यही मान लो और बताओ कैसी हो जीत ने पूछा ? 
मैं अच्छी हूं मम्मा के जाने का इंतजार कर रही थी की कब ओ जाएं और कब मैं काल करुं तुमको सिमरन बोली अच्छा हूं ये कहकर दोनों ही शर्मा गये ।
काफी रोमांटिक माहौल था तभी जीत बोला अच्छा बताओ न आप कहां रहती हो उसने कहां मैं लखनऊ गोमतीनगर में रहती हूं ।
मैं भी लखनऊ में ही निषादगंज में रहता हूं अच्छा सच्ची सिमरन बोली हां सच में जीत ने कहा ।
सिमरन बोली फिर तो अपना मिलना पक्का है किसी दिन , हां ज़रूर अगर आप चाहें तो जीत बोला ।
ये क्या आप आप लगाते हो जस्ट फ्रेंड ओके 
सिमरन बोलो न तुम्हारे मुह से सुनना अच्छा लगता है ।
सिमरन! जीत बोला ,हां ऐसे ही बोलो अब लग रहे हो मेरे फ्रेंड ।
हां और तुम भी ।
तो आओ न कभी मिलते हैं इमामबाड़ा या अंबेडकर पार्क जीत बोला ,
 हां क्यों नहीं अभी इतना जल्दी भी क्या है अभी तो मिले हैं सिमरन बोली ।
हां ये भी सही है वैसे तुम्हें क्या क्या पसंद है जीत ने पूछा ।
मुझे कुल्फी ,मटर , छोले भटूरे और बहुत सी चीजें पसंद है और कलर जीत ने पूछा ? कलर नीला सिमरन बोली जीत ने भी हांमी भर दी की मुझे भी नीला पसंद है सिमरन बोली wow  हम दोनों की पसंद एक जैसी है जीत ने कहा हां ऐसे ही घंटो बातें चली और फिर एक प्यारा सा बाय बोलके उसने फोन रख दिया ।
इधर जीत को का मानो किसी ने दिल लूट लिया हो इश्क में मीरा से हो गये थे ।
जीतन फौरन ही बजार गया और अपने लिए दो तीन अच्छी सी नीले रंग की शर्ट खरीदी और घर ले आया और अब जब भी बाहर निकलता तो नीला पहन के ही निकलता यहां तक एयर फोन मोबाइल का कवर और बेड का चद्दर भी भाई साहब ने नीला ही खरीद लिया ।
 यहां तक मम्मी से जिद करके घर के पर्दें  भी नीले रंग के लगवा दिए  अब क्या था हर ओर उसकी यादें और नीले रंग का माहौल ।
घर वालों को लग रहा था की नीला रंग इसे काफी पसंद है पर उन्हें ये कहा पता था की जीत को नीले रंग वाली भा  गयी है ।
अगले दिन फिर बात हुई और ऐसे ही बात करते करते महीनों बीत गये वैसे अचानक एक दिन सिमरन ने कहा आओ मिलते हैं न बाहर कहीं जीत को भी इसी दिन का का इंतजार था उसने समय बताया की दो बजे मिल जाना इमामबाड़ा के पास में जीत ने बोला ठीक है ।
अब  इधर  अगले दिन जीत ने अपना नीले रंग का शर्ट निकाला पहना और चल दिया जैसा उसने कहा की की बाइक नहीं लाना है तो इसने आटो किया और पहुंच गया करीबन दश मिनट इंतजार करने के बाद काॅल आया की कहां हो तो जीत ने कहां यहां हूं और हवा में हाथ उठाया तो उधर से गुलाबी ड्रेस में में मास्क लगाये बाल लहराते हुए लड़की ने जब इशारा किया तो जीत देखता ही रह गया ।
ओ पास आयी और बोली ओ हेलो देखते ही रहोगे या घूमने भी चलोगे जीत भी खुद पे काबू करते हुए बोला हां क्यों नहीं फिर उन्होंने काफी सारी जगह घूमीं और  हर ओ चीज जीत ने खाया जो सिमरन को पसंद था दोनों ने साथ साथ आटो और मैट्रो से लखनऊ की  हर एक खूबसूरत जगह घूमा आज जीत को सिर्फ दो ही चीज़ अच्छे लग रहे थे एक तो सिमरन और दूसरा लखनऊ कमाल का शहर है जितनी  घनी सड़कें उतने ही घने खूबसूरत बाल उसकी आंखें तो मानों गोमती का तट हो जिसने मानों अपने अंदर न जाने कितनी खामोश लहरों को छुपा रखा है और भौंहें इमामबाड़ा से कम नहीं थे ।
उसके हाथ उतने ही खूबसूरत थे जितने खूबसूरत चिकन की कढ़ाई ,
और चेहरा गोलघर के जैसा कितना चमकीला मानों कि चांद आज अपने पूरे तेज से भरा हो ।
आज लग रहा की लखनऊ ही लड़की बनकर जीत के सामने बैठी हो और ओ उसे निहार रहा हो ।
तभी सिमरन बोली पास में बैठो न इतने दूर क्यों हो ?
जीत बोला मैं आज का दिन पास बैठकर बर्बाद नहीं कर सकता आज तो तुम्हें जी भर कर निहार लेने दो ।
हां देखो पर बगल बैठ कर भी तुम मुझे देख सकते हो और फिर पूरे दो घंटे वे दोनों एक दूसरे को देखते रहे उधर शाम के छः बज चुके थे तो सिमरन ने कहा अब मुझे जाना होगा जीत ने भी मायूस होकर कहा ठीक है सिमरन बोली ऐसा न अब तो हम और तुम साथ में हैं न मैं तुम्हारे और तुम मेरी नज़रों में ‌।
जीत बोला हां ‌‌।
फिर  अगले दिन शाम को काॅल आया और बातें हुई तभी सिमरन बोली की आज के बाद मैं तुमसे बात न कर पाउंगी जीत ने कहा क्यों तो सिमरन ने कहा मेरी शादी तय हो गयी है आज जीत बोला पर मैं तो तुमसे प्यार करता हूं न सिमरन बोली मैं तो तुम्हें एक दोस्त समझती हूं जीत बोला ऐसा न कहो सिमरन बोली मैं तुम्हें उदास नहीं करना चाहती थी तुम्हारे साथ कुछ पल बिताना चाहती थी कुछ अच्छी यादें लेना चाहती थी जो मिल गयी मुझे और हां रांगनंबर था न तो अब रांग नंबर ही समझ के भूल जाओ वैसे जो समय मैने तुम्हारे साथ बिताया ओ मै हमेशा याद रखुंगी मैं भी याद रखुंगा जीत बोला  तुम ख्याल रखना अपना और तुम जंच रहे थे आज जीत बोला थैंक्स और तुम भी सिमरन ने कहा थैंक्स अच्छा  मैं फोन रखूं उससे पहले एक बार मेरा नाम फिर पुकारो न जीत पूरे प्यार और दर्द भरे आवाज मे बोला सिमरन!! उसने बोला हां और फिर सन्नाटा दोनों चुप और फिर उसने फोन काट दिया ।
तभी ओ हेलो सुन रहे हो न क्या हुआ तुम्हें जवाब दो अचानक होश में आकर जीत ने बोला हां काफी प्यारी आवाज है आपकी उस लड़की ने कहा थैंक्स।।
लेखक--- अरुण 

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9 Comments

Mithi . S

26-Aug-2022 02:58 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

25-Aug-2022 03:56 PM

बहुत खूबसूरत

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Pankaj Pandey

25-Aug-2022 02:23 PM

Behtarin rachana

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